1. दूध दही सब खा गया, दिल्लीवाला कंस।
श्रीहरि की माखन चुराए, भ्रष्टाचार एंड् संस्।।
2. दीनानाथ लगे अनाथ, ठाढे जैसे दीन।
भ्रष्टाचार की मार से, बलदाऊ बलहीन।।
3. भोँपू, नारा शोरगुल, कौवों का गुणगान।
हंगामे में खो गयी, मधुर मुरलिया तान।।
4. एस्.ई.जेड्. मेँ बदल गये, सारे चारागाह।
गाय गोविँदा लौट गये, भूखे घर की राह।।
5. मैया मोरी मैं नहीं, करने जाऊं स्नान।
जमुना वो जमुना नहीं, जिससे बृज का मान।।
Wednesday, August 24, 2011
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